आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल जल, कर में कंचन तिलक चंदन।
चारु मुकुट शीश धर, सोहे अँग वस्त्र अनंत कोटि वर्णन।
चन्द्रवदन नयन चकोर, श्री मुकुंद मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
श्री यमुनाजी के तट पर, वृन्दावन के कुंज-गली में।
वृषभानुज जन राखे, नाम रसभूमि में विराजे।
अतुलित बल धामं हेम शैलाभदं धयावतं।
जनुभिरामं वृषभानुजं वन्दे भक्तजनाश्रयं।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Giridhar Krishna Murari Ki Gale Mein Vaijanti Mala, Bajave Murli Madhur Bala
Shravan Mein Kundal Jhalakala, Nand Ke Anand Nandlala Gagan Sam Ang Kanti Kala, Ratan Kundal Tilakala
Chandravat Peetambar Raja, Radhe Ratan Bihari Ki Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Giridhar Krishna Murari Ki
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